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शनिवार, 29 सितंबर 2018

सुबह पूरी तरह पेट साफ करे 
चर्म रोग को जड से खत्म करे।

दाग-धब्बे दूर करने के लिए जायफल और चंदन का फेस पैक लगाएं


चेहरे पर हेने वाले दाग-धब्बे न सिर्फ देखने में खराब लगते हैं, बल्कि मनोबल को भी कमज़ोर करते हैं। इसके होने के कई कारण होते हैं, जैसे सही तरह से त्वचा की साफ-सफाई न होना, मुंहासे और गंभीर एक्ने या फिर त्वचा संबंधी कोई अन्य समस्या। लेकिन आप इन दाग-धब्बों को घरेलू नुस्खों की मदद से दूर कर सकते हैं और त्वचा को कोमन व निखरी हुई बना सकते हैं। आज हम आपको त्वचा के दाग-धब्बे दूर करने वाले व त्वचा को निखार देने वाले जायफल और चंदन के फेस पैक को बनाने और लगाने का तरीका बता रहे हैं। मोटी से मोटी तोंद भी नौवें दिन गायब हो जाएगी! बस सुबह ये करे घर बैठे सिर पर बाल उगाना हुआ बेहद आसान, अपनाएं 1 देसी नुस्खा इस ट्रिक ने एक गरीब व्यक्ति को अरबपति बना दिया! सुबह एक ग्लास = रोज 2 किलो चर्बी गायब 2 फेस पैक के लिए आवश्यक सामिग्री जायफल और चंदन का फेस पैक बनाने के लिए निम्न सामिग्री की आवश्यकता होती है। तीन चम्मच कच्चा दूध आधा चम्मच जायफल पाउडर (Jaifal) आधा चम्मच मुलेठी पाउडर (Mulethi) एक चम्मच चन्दन पाउडर (Chandan) एक चुटकी केसर (Kesar) Images source : © Getty Images 3 बनाने की विधि जायफल और चंदन का फेस पैक बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में दूध लें और इसमें केसर को मिला लें और 20-30 मिनट के लिए छोड़ दें। जब दूध का रंग हल्का पीला होने लगे तो जायफल, मुलेठी और चंदन का पाउडर मिलाएं और पेस्ट तैयार कर लें। अब संक्रमित भाग पर इस मिश्रण को लागा कर 30 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके सूख जाने पर गुनगुने पानी से अपना चेहरा धो लें और कोई अच्छा सा मॉश्चुराइज़र लगाएं। Images source : © Getty Images 4 उपयोग की गई सामग्री के लाभ इस फेस पैक में इस्तेमाल दूध विटामिन और प्रोटीन से भरा होता है और सूखी और परतदार त्वचा का उपचार करता है, कोलेजन का उत्पादन बढ़ा देता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर त्वचा को स्वस्थ रखता है। वहीं जायफल मुंहासों से लड़ने के लिए शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपचार है। मुलेठी में एंटी-बैक्टीरियल और चिकित्सा गुण होते हैं। इससे पिंपल रोकने में मदद मिलती है और त्वचा साफ और गोरी होती है। चंदन के गुणों से तो हम सभी वाकिफ हैं, और केसर मिलने के बाद ये फेस पैक पूरी तरह मुकम्मल हो जाता है। Images source : © Getty Images 5 इन ज़रूरी बातों का रखें खयाल जायफल और चंदन का फेस पैक लगाने के बाद आपको कुछ मिनट के लिए थोड़ा संवेदनशीलता हो सकती है, क्योंकि जायफल से ऐसा होता है। लेकिन ऐसा होना पूरी तरह से सामान्य है। अगर आपके पास केसर नहीं है तो आप इसकी जगह हल्दी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। जायफल और मुलेठी का पाउडर बाज़ार में आसानी से नहीं मिलता है तो आप घर पर भी इन्हें पीस कर तैयार कर सकती हैं। आप इस फेस पैक को पूरे चेहरे पर लगा सकती हैं। Images source : © Getty Images TAGS जायफल और चंदन का फेस पैक दाग-धब्बे दूर करने के तरीके जायफल और चंदन Sandalwood And Nutmeg Face Pack Pack For Scar Removal BROWSE SLIDESHOW अर्थराइटिस अवसाद अस्‍थमा आंखों के विकार आफिस स्‍वास्‍थ्‍य उच्‍च रक्‍तचाप एलर्जी कान की समस्‍या किडनी फेल्योर कोल्‍ड और फ्लू गर्भावस्‍था ट्यूबरकुलोसिस डेंगू तनाव और अवसाद त्‍यौहार स्‍पेशल थायराइड दंत स्वास्‍थ्‍य दर्द का प्रबंधन फ्लू मलेरिया माइग्रेन मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य मुंह स्‍वास्‍थ्‍य मेडिकल मिरेकल विभिन्न संक्रामक बीमारियां स्वाइन फ्लू हृदयाघात हेपेटाइटिस हेल्थ एप्स हेल्थ डिसीज़ बालों के लिए कितनी मात्रा में प्रोटीन लेना है जरूरी, इन फूड्स का करें सेवन 1 बालों के लिए प्रोटीन सुंदर बाल आपके व्‍यक्तित्‍व में चार चांद लगा देते हैं। और बालों की खूबसूरती में प्रोटीन की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। प्रोटीन युक्त आहार आपके बालों की खूबसूरती बढ़ाने का काम करता है। बाल केराटिन नामक प्रोटीन से ही बनते हैं और खाने में उचित प्रोटीन लेकर आप आपने बालों को चमकदार, मजबूत और खूबसूरत बनाए रख सकते हैं। Image courtesy: Getty Images 2 आहार में प्रोटीन बालों को टूटने से बचाने के लिए हम सबसे पहले अपना शैंपू बदलते हैं। दरअसल, बालों के टूटने की सबसे बड़ी वजह शैंपू नही, बल्कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी होता है। इसके लिए शरीर में प्रोटीन की मात्रा सही रखना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए अपने आहार में प्रोटीन तत्व को शामिल करें। Image courtesy: Getty Images 3 प्रोटीन युक्त शैंपू स्वस्थ व सुंदर बालों की सफाई के लिए शैंपू व कंडीशनर बेहद जरूरी है क्योंकि ये बालों पर एक अस्थायी सुरक्षात्मक परत देते हैं। बालों में प्रोटीन की कमी होने पर बाल टूटने लगते हैं और उनमें चमक कम हो जाती है। इसलिए बालों को मजबूती और खास चमक प्रदान करने के लिए केराटिन व सिल्क प्रोटीन वाले शैम्‍पू का इस्‍तेमाल करें। Image courtesy: Getty Images 4 प्रोटीन की मात्रा क्या आप जानती हैं कि प्रोटीन की कितनी मात्रा एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए जरूरी होती है। प्रोटीन की आवश्यकता आपके वजन और आपकी कैलोरी पर निर्भर करता है। आपकी कुल कैलोरी का लगभग 20 से 35 प्रतिशत भाग प्रोटीन से आना चाहिए। अगर आप प्रतिदिन 2,000 कैलोरी का सेवन करते हैं तो उसमें से 600 कैलोरी प्रोटीन से आनी चाहिए। Image courtesy: Getty Images 5 बालों के विकास पर प्रोटीन और अमिनो एसिड के प्रभाव मानव शरीर में काफी हद तक प्रोटीन की मात्रा होती हैं, जो अमीनो एसिड से बनी होती हैं और ऐसे बीस कुल अमीनो एसिड है, जो आवश्‍यक प्रोटीन संश्लेषण का ख्याल रखते है। इन में से ग्‍यारह अमीनो एसिड स्‍वाभाविक रूप से हमारी प्रणाली द्वारा उत्‍पादित होता है, जबकि दूसरे नौ हमें आहार अमीनो एसिड के रूप में लेना पड़ता है। खासतौर से तब जब हम अपने बालों के विकास को बढ़ाना चाहते हैं। Image courtesy: Getty Images 6 आवश्‍यक अमीनो एसिड और बाल इन अमीनो एसिड को आवश्यक अमीनो एसिड कहा जाता है, जिन्‍हें फेनिलएलनिन, वालीने, ट्रीप्टोफन, मेथओनीन, हिस्टडीन और लाइसिन के नाम से जाना जाता है। आवश्‍यक अमीनो एसिड बालों के विकास को बनाए रखने के लिए बालों के रोम के लिए बहुत आवश्‍यक होते हैं। इसका मतलब अगर शरीर में इन अमीनो एसिड की कमी हो जाती है तो रोम बाल फाइबर का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होते, जिससे बाल पतले और झड़ने लगते है, गंभीर मामलों में तो यह गंजापन भी ला सकता है। Image courtesy: Getty Images 7 प्रोटीन के स्रोत प्रोटीन हमारे भोजन का एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा होता है। मांसाहार पसंद करने वाले लोग बहुत ही आसानी से प्रोटीन की पूर्ति मटन, मछली और अंडे से कर सकते हैं। लेकिन शाकाहारी लोगों के लिए भी इसके स्रोतों की कमी नहीं हैं। वह चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूं, मक्का आदि से प्रोटीन की पूर्ति कर सकते हैं। मांस, मछली, अंडा, दूध एवं यकृत प्रोटीन के अच्छे मांसाहारी स्रोत हैं। Image courtesy: Getty Images 8 कृत्रिम विकल्प इसके अलावा, स्वस्थ बालों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए आप बाजार में उपलब्‍ध कई प्रकार के प्रोटीन समृद्ध बाल उत्पाद और प्रोटीन और अमीनो एसिड खुराक भी आप ले सकते हैं। बालों के विकास के लिए इस प्रोटीन युक्त भोजन से आप अपने समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं। Image courtesy: Getty Images 9 त्वचा विशेषज्ञ से सलाह अपने आहार में बदलाव या अपनी दिनचर्या में आहार में प्रोटीन की खुराक शामिल करने से पहले त्वचा विशेषज्ञ या मेडिकल प्रोफेशनल से सलाह लेने बहुत जरूरी होता हैं। image courtesy : getty images Image courtesy: Getty Images 10 ज्यादा प्रोटीन है हानिकारक अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन नुकसानदेह है। आपकी कुल कैलोरी का 30 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन आपके शरीर को नुकसान पहुंचाता है। इससे शरीर में विषैला पदार्थ कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है। इस कीटोन को शरीर से बाहर निकालने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। Image courtesy: Getty Images BROWSE SLIDESHOW अर्थराइटिस अवसाद अस्‍थमा आंखों के विकार आफिस स्‍वास्‍थ्‍य उच्‍च रक्‍तचाप एलर्जी कान की समस्‍या किडनी फेल्योर कोल्‍ड और फ्लू गर्भावस्‍था ट्यूबरकुलोसिस डेंगू तनाव और अवसाद त्‍यौहार स्‍पेशल थायराइड दंत स्वास्‍थ्‍य दर्द का प्रबंधन फ्लू मलेरिया माइग्रेन मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य मुंह स्‍वास्‍थ्‍य मेडिकल मिरेकल विभिन्न संक्रामक 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खतरनाक साबित हो सकती है सफेद दाग की समस्या, जानें लक्षण, कारण और उपचार

English स्वास्थ्य और बीमारियां डाइट और फिटनेस ग्रूमिंग टिप्स गर्भावस्था और परवरिश रिलेशनशिप वैकल्पिक चिकित्सा स्वास्थ्य » वैकल्पिक चिकित्सा » घरेलू नुस्‍ख खतरनाक साबित हो सकती है सफेद दाग की समस्या, जानें लक्षण, कारण और उपचार Jun 26, 2018 QUICK BITES: विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है।विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है।गहरे रंग की त्वचा पर दाग व धब्बे अधिक होते है। विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है। दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है। देश में इस बीमारी को समाज में कलंक के रूप में भी देखा जाता है। विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है। क्या है सफेद दाग की समस्या सफेद दाग एक तरह का त्वचा रोग है जो किसी एलर्जी या त्वचा की समस्या के कारण होती है। कई बार ये आनुवांशिक भी होता है। दुनिया के दो प्रतिशत लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं और भारत में चार प्रतिशत तक लोग इस समस्या से पीड़ित हैं। इसे ठीक करने के लिए काफी धैर्य की जरूरत है। गहरे रंग की त्वचा पर दाग व धब्बे अधिक होते है। क्योंकि सांवली त्वचा में मेलनिन तत्व अधिक होते हैं। यह बात हम आपको अच्छी तरह से बता दें कि सफेद दाग होना कोई वंशानुगत या कुष्ठ रोग नहीं है। सफेद दाग को फैलने से रोकने के लिये दाग वाली त्वचा का रूप ले लेती है और श्रृंगार द्वारा भी यह दाग अस्थाई रूप से छिपाये जा सकते है।

गुरुवार, 13 सितंबर 2018


झारखंड में असिस्टेंट पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के 56 पद, जल्द करें आवेदन Last Modified: Thu, Sep 13 2018. 13:17 IST jobs 4 झारखंड में असिस्टेंट पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के पदों पर रिक्तियां घोषित की गई हैं। कुल 56 रिक्त पदों को भरा जाएगा। ये सभी नियुक्तियां नगर विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत की जाएंगी। इच्छुक और योग्य उम्मीद इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन स्वीकार करने की अंतिम तिथि 14 अक्टूबर 2018 है। हर तरह के आरक्षण का लाभ झारखंड के मूल निवासियों को मिलेगा। अन्य राज्यों के उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी में आवेदन करने के योग्य होंगे। रिक्त पदों, योग्यता और आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी इस प्रकार है : असिस्टेंट पब्लिक हेल्थ ऑफिसर, कुल पद : 56 (अनारक्षित- 28) टॉप न्यूज़ यूपीए सरकार में बैंकों पर माल्या को लोन देने का दबाव था-पीयूष गोयल Thu, Sep 13 2018. 19:25 IST जम्मू कश्मीरः 2 एनकाउंटर में 5 आतंकी ढेर, 12 जवान जख्मी-VIDEO Thu, Sep 13 2018. 18:31 IST विजय माल्या मामले में राहुल गांधी ने अरुण जेटली से मांगा इस्तीफा Thu, Sep 13 2018. 16:55 IST INDvsENG:सचिन के मुताबिक,विराट नहीं ये था सीरीज का सबसे 'best' खिलाड़ी Thu, Sep 13 2018. 18:57 IST आयुष्मान खुराना ने किया था कास्टिंग काउच का सामना Thu, Sep 13 2018. 18:26 IST राष्ट्रपति ने रंजन गोगोई को नियुक्त किया सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस Thu, Sep 13 2018. 19:24 IST योग्यता : - मान्यता प्राप्त संस्थान से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त हो और कम से कम एक वर्ष की इंटर्नशिप पूरी की हो। - चिकित्सक के रूप में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। आयु सीमा : - न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 35 वर्ष। - आयु की गणना 01 अगस्त 2018 के आधार पर की जाएगी। - अधिकतम आयु में छूट का लाभ राज्य सरकार के नियमों के अनुसार दिया जाएगा। वेतनमान : 9300 से 34,800 रुपये प्रतिमाह। ग्रेड-पे 5400 रुपये। प्रोबेशन की अवधि : दो वर्ष। चयन प्रक्रिया : योग्य उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और मौखिक प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर किया जाएगा। आवेदन शुल्क : - सामान्य/ओबीसी और अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के लिए 600 रुपये। - झारखंड के मूल निवासी एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 150 रुपये। - दिव्यांग वर्ग के उम्मीदवारों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। आवेदन प्रक्रिया : - इच्छुक उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए सबसे पहले वेबसाइट (www.jpsc.gov.in) पर लॉगइन करना होगा। - होमपेज खुलने पर लेटेस्ट रिक्रूटमेंट्स/ओपनिंग्स सेक्शन में Assistant Public Health Officer, Advt. No.06/2018 लिंक दिखाई देगा। - इस लिंक पर क्लिक करें। ऐसा करते ही नया वेबपेज खुलेगा। इस पर Advertisement dtd. 31-08-2018 लिंक पर क्लिक करें। - ऐसा करने पर रिक्तियों से संबंधित जारी किया गया विस्तृत विज्ञापन आपकी कम्प्यूटर स्क्रीन पर खुल जाएगा। - इस विज्ञापन को अच्छी तरह से पढ़ें और पद के अनुसार अपनी योग्यता की जांच कर लें। - अब ऑनलाइन आवेदन करने के लिए बैक बटन के जरिए पुन: वेबपेज पर वापस आएं और Click Here for Online Application लिंक पर क्लिक करें। - क्लिक करते ही खुलने वाले वेबपेज पर उम्मीदवार को सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। - इसके लिए वेबपेज पर दाईं ओर दिख रहे क्लिक हियर फॉर न्यू रजिस्ट्रेशन ऑप्शन पर क्लिक करें। - अब रजिस्ट्रेशन पेज खुलेगा। इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को ध्यान से पढ़कर दर्ज करें और सेव एंड एडिट ऑप्शन पर क्लिक करें। - इसके बाद निर्देशानुसार ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को पूरा करें। - ऑनलाइन आवेदन पत्र सब्मिट करने के बाद उसका एक प्रिंटआउट निकालकर अपने पास रख लें। महत्वपूर्ण तिथि : ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि : 14 अक्टूबर 2018 अधिक जानकारी यहां : वेबसाइट : www.jpsc.gov.in संबंधित खबरें राजस्थान में भरे जाएंगे लैब असिस्टेंट के 1393 पद, जल्द करें आवेदनलैब असिस्टेंट के 1393 पदों के लिए मांगे आवेदन बिहार में असिस्टेंट इंजीनियर समेत 37 पदों पर करें आवेदनअसिस्टेंट इंजीनियर समेत 37 पदों पर मौका एमडीयू रोहतक में असिस्टेंट प्रोफेसर के 13 पद, जल्द करें आवेदनएमडीयू रोहतक में असिस्टेंट प्रोफेसर के 13 पद प्रोजेक्ट असिस्टेंट समेत सात पदों के लिए होगा वॉक-इन-इंटरव्यूप्रोजेक्ट असिस्टेंट समेत सात पदों पर मौका हिन्दुस्तान मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें अगला लेख:ईएसआईसी दिल्ली में एसएसओ/मैनेजर ग्रेड-II/सुपरिंटेंडेंट के 539 पदों पर अवसर

नमस्कार दोस्तों, मैं आपका दोस्त और इस लेख का लेखक अखिलेश कुमार, हेल्थ की अनोखी दुनिया में स्वागत करता हूँ। एक गाना याद आ रहा है झूम शराबी झूम , शीर्षक लिखते ही मैं मयखाने की हवाओं में खो गया और उन फिज़ाओ में खोता ही चला गया। अखिलेश! ठहर जा तुझे अभी लेख को पूरा लिखना बाकी है। बुर्र्म्म!!! हाँ जी! माफी चाहूँगा ऊपर लिखी बातों के लिये। मैं अब उल-फिजूल की बातों को छोड़ कर सीधा मुख्य बिन्दु पर आता हूँ। शीर्षक देख/पढ़ कर जिन्होंने एक उम्मीद के साथ क्लिक किया है उनको बताना चाहूँगा कि एक दम सही क्लिक किया, मैं आपकी उम्मीदों को यूँ जाया होने नहीं दूँगा। शराब यूँ तो बहुत ही बदनाम है, लेकिन अगर एक हद में रह कर सेवन करें तो फायदे भी पहुँचाती है। शराब की जितनी वैरायटी उतने अलग-अलग फायदे। दिमाग की सक्रियता – शराब पीने से दिमाग की सक्रियता में वृद्धि होती है। दिमाग की सोचने की क्षमता थोड़ी बढ़ जाती है। किडनी में स्टोन बनने से रोकता है – बियर पीने से किडनी में स्टोन नहीं बनता है, क्यूँकि बियर पीने से बार-बार पेशाब आता है जिससे किडनी में स्टोन बनने के अवसर कम होते है। हृदयाघात (हार्ट अटैक) को रोकता है – वाइन का खाने के बाद हफ्ते में एक बार पेग लेने से हार्ट अटैक और अल्झाइमर आने के अवसर को कम कर देता है। ब्लड शुगर का लेवल बराबर रखता है – वाइन का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज़ के शिकार होने से बचा जा सकता है, जिससे ब्लड शुगर भी संतुलित हो जाता है। यौन-क्रिया में बढ़ोतरी – रेड वाइन का सेवन करने से महिलाओं में यौन क्रिया करने की चाह पुरुषों से ज्यादा हो जाती हैं। शादीशुदा दंपती इसका सेवन करके अपना जीवन सुखद अनुभव के साथ बिता पाते हैं। याद रखने की क्षमता को बढ़ता है – रेड वाइन का सेवन करने से आदमी अपनी याददाश्त को बढ़ा सकता हैं। तनाव को कम करना – वोदका का सेवन करने से इंसान अपने तनाव से मुक्ति पा सकता है। इसके सेवन के बाद एक अच्छी और सुकून भरी नींद आती हैं। त्वचा सुंदर बनाये – रेड वाइन का सेवन करने से त्वचा सुंदर बनती है। रूखी त्वचा को प्राकृतिक नमी और चमक देता है। हड्डियाँ मजबूत करता है – बियर का नियमित सीमित सेवन करने से हड्डियों की डैन्सिटि में वृद्धि हो जाती हैं, और वोदका को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। जवान रखता है – सबसे महत्वपूर्ण और आखिरी बात है कि वाइन के सेवन से आप जल्दी बूढ़े नहीं होते है, मतलब आपकी त्वचा से आप जवान दिखोगे। उम्मीद करता हूँ की आप सब को ये लेख पसंद आया होगा। आप सभी के सुझाव और टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी। इसी के साथ मैं अपनी कलम को विश्राम देता हूँ।

अगर आप भी लगाती हैं कॉन्टेक्ट लेंस, तो आई मेकअप में ध्यान रखें ये 5 बातें Sep 12,2018 कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों की आंखें ज्यादा संवेदनशील होती हैं। आपको मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ध्यान से करना चाहिए। आप पाउडर के बजाय क्रीम शैडोज का इस्तेमाल करें। अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करती हैं, तो आंखों के मेकअप के समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। खूबसूरत आंखें आपकी पूरी पर्सनैलिटी की खूबसूरती बढ़ाती हैं। कई बार आंखों के मेकअप में की गई गलती के कारण आपको आंखों के इंफेक्शन और कई परेशानियों का खतरा रहता है। इसलिए कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाली लड़कियों को आंखों का मेकअप करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सफाई का रखें ध्यान कॉन्टैक्ट लेंस लगाते समय हाथों को अच्छी तरह साफ करके साफ कपड़े या तौलिए से पोछ लें। इसे छूते समय आपके हाथ साफ और सूखे होने चाहिए। इसके बाद आंखों पर लेंस लगाने से पहले लेंस को सल्यूशन से जरूर साफ कर लें। इसी तरह लेंस का निकालने के बाद भी उसे अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही डिब्बें में रखें। इससे आप आंखों में होने वाले संक्रमण से बच सकते हैं। इसे भी पढ़ें:- छोटी आंखें भी दिखेंगी खूबसूरत और बड़ी, आजमाएं ये 5 मेकअप ट्रिक्स सही मेकअप प्रोडक्ट का इस्तेमाल बाजार में बिकने वाले ज्यादातर मेकअप प्रोडक्ट्स सामान्य आंखों के लिए बनाए जाते हैं। अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस लगाती हैं, तो आपकी आंखें ज्यादा संवेदनशील होती हैं। इसलिए आपको अपनी आंखों के लिए मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ध्यान से करना चाहिए। आपके लिए हाइपोएलर्जेनिक मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बेहतर रहता है क्योंकि इन प्रोडक्ट्स से एलर्जी का खतरा कम रहता है। लेंस लगाने के बाद करें मेकअप आंखों का मेकअप करने से पहले आप अपने कॉन्टैक्ट लेंस को सावधानी और सफाई के साथ लगा लें। इसके बाद प्राइमर लगाएं क्योंकि इससे शैडोज और लाइनर ठीक रहते हैं। ध्यान दें कि आप पाउडर के बजाय क्रीम शैडोज का इस्तेमाल करें, ताकि ये आपकी आंखों में न जाएं। यह भी ध्यान दें कि क्रीम शैडोज आंखों में ज्यादा जलन पैदा करते हैं इसलिए सावधानी से इसे लगाएं और बेहतर होगा कि वाटर बेस्ड क्रीम शैडोज चुनें। आईलाइनर कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों को जेल या क्रीम लाइनर्स के बजाय पेंसिल लाइनर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि इसके लिए लेड वाली पेंसिल का इस्तेमाल न करें क्योंकि लेड के कण आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इसे भी पढ़ें:- सिर्फ इन 5 ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट से पाएं पार्लर से भी अच्‍छा लुक मस्कारा फाइबर मस्कारा या लैश एक्सटेंडिंग मस्कारा के प्रयोग से बचें। इसके अलावा कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों को वाटर प्रूफ मस्कारा लगाने से भी बचना चाहिए। आइलैश डाई का इस्तेमाल करते समय भी सावधानी बरतें क्योंकि ये आंखों के इंफेक्शन और कई दूसरी परेशानियों का कारण बन सकता है। बरतें सावधानी अगर किसी भी मेकअप प्रोडक्ट से आपकी आंखों में जलन या परेशानी होती है, तो तुरंत आंखों को पानी से धोएं और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। आजकल मार्केट में ऐसे प्रोडक्ट आ गए हैं, जो कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों के लिए स्पेशली बनाए जाते हैं। इसलिए ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आपके लिए बेहतर होगा। ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Beauty In Hindi Latest News ट्रेंडी दिखना है तो अपनाएं आयुष्मान खुराना का ये सीक्रेट, सिंपल कपड़ों में भी दिखेंगे स्टाइलिश सिर्फ इन 5 ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट से पाएं पार्लर से भी अच्‍छा लुक छोटी आंखें भी दिखेंगी खूबसूरत और बड़ी, आजमाएं ये 5 मेकअप ट्रिक्स रूखी त्वचा और झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए ट्राई करें ये 3 हाइड्रेटिंग फेस मास्क चमकदार और खूबसूरत नाखून पाने हैं, तो घर पर ऐसे करें हॉट ऑयल मेनीक्योर

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Heart Health In Hindi जानें क्या है कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट और कैसे कंट्रोल करें बढ़ता कोलेस्ट्रॉल Aug 11, 2018 QUICK BITES: कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट से होती है शरीर में कोलेस्ट्रॉल की जांच।बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल दिल की जानलेवा बीमारियों को बढ़ावा देता है।20 साल की उम्र में पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए। आप जानते हैं कि बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल दिल की जानलेवा बीमारियों को बढ़ावा देता है। हालांकि कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है, गुड कोलेस्ट्रॉल या एचडीएल और बैड कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल। इनमें से गुड कोलेस्ट्रॉल आपके शरीर के लिए फायदेमंद है जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल से शरीर को कई तरह के रोगों का खतरा रहता है। कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट, ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच है। इस टेस्ट में ब्लड में मौजूद एचडीएल और एलडीएल दोनों का स्तर जांचा जाता है। आइये आपको बताते हैं क्या है कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट और कैसे कंट्रोल कर सकते हैं आप अपना कोलेस्ट्रॉल। क्या है कोलेट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट में रक्त में एचडीएल और एलडीएल दोनों का स्तर जांचा जाता है। 20 साल की उम्र में पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना अच्‍छा रहता है। इसके बाद हर पांच साल में एक बार यह टेस्ट करवाने से आप कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर पर नजर रख सकते हैं। हालांकि, इसके बाद आपको कितने समय बाद जांच करवानी यह जांच के स्‍तर पर निर्भर करता है। अगर रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक है या आपके परिवार में दिल की बीमारियों का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डॉक्टर हर 2 या 6 माह में जांच कराने की सलाह दे सकते हैं। इसे भी पढ़ें:- अचानक बढ़ जाती है दिल की धड़कन तो हो सकती है ये खतरनाक बीमारी क्यों जरूरी है कोलेस्ट्रॉल की जांच कोलेस्ट्रॉल लिवर द्वारा उत्पन्न की जाने वाली वसा होती है। हमारा शरीर सही प्रकार से काम करता रहे, इसके लिए कोलेस्‍ट्रॉल का होना जरूरी है। शरीर की हर कोशिका के जीवन के लिए कोलेस्‍ट्रॉल का होना आवश्‍यक है। क्‍त में कोलेस्‍ट्रॉल की अधिक मात्रा शरीर को तमाम प्रकार की बीमारियां दे सकती है। दिल की बीमारियों की बड़ी वजह कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर सामान्‍य से अधिक होना है। इसलिए समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच द्वारा आप जान सकते हैं कि कहीं आपको दिल की बीमारी का खतरा तो नहीं है। इसके अलावा इस टेस्ट के द्वारा आप ये भी जान सकते हैं कि कब आपको कोलेस्ट्रॉल को कम करने की जरूरत है। कितना होना चाहिए आपका कोलेस्ट्रॉल इंसान की सेहत कैसी होगी, यह बात काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उसके रक्‍त में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा कितनी है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है। 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च कोलेस्‍ट्रॉल की श्रेणी में रखा जाता है। इन हालात में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। आप इस स्थिति में कभी नहीं पहुंचना चाहेंगे। इन हालात में आपको दिल का दौरा पड़ने और स्‍ट्रोक का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। इसे भी पढ़ें:- जानिये कितना होना चाहिए आपका कोलेस्ट्रॉल और कब शुरू होती है इससे परेशानी कैसे कम करें बढ़ता कोलेस्ट्रॉल मोटापे को जल्द करें कंट्रोल रोजाना 30 मिनट करें एक्सरसाइज साइकिलिंग, स्विमिंग, रनिंग या डांसिंग जैसे शौक रखें। ट्रांस फैट वाले फूड्स से रहें दूर। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का समय पर करें सेवन। ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Heart Health in Hindi शरीर में होने वाले ये बदलाव ह्रदय रोग के हैं संकेत Aug 09, 2018 QUICK BITES: 'हृदय' मनुष्‍य के शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग होता है। यह छाती के बीच, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है 'हृदय' मनुष्‍य के शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग होता है। यह छाती के बीच, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जब एक या ज्यादा आर्टरी रुक जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस स्थिति को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहा जाता है। इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे- हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता लेकिन यह समस्याएं भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है। कार्डियो वस्क्युलर डिजीज के कारण कार्डियो वस्क्युलर डिजीज के ज्यादातर मामलों का मुख्य कारण अथीरोमा कही जाने वाली वसा धमनियों के अंदर जम जाती है। समय के साथ-साथ ये सतह बढ़ी होती जाती है और खून के बहाव में रूकावट होने लगती है और एंजाइना का दर्द होने बन जाता है। ऐसा अधिकतर तब होता है जब इस सतह पर खून का थक्का बन जाता है। ऐसा होने पर हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था को ही हार्ट अटैक कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में लौट सकता है लेकिन यदि नुकसान अधिक हो तो मौत भी हो सकती है। जन्मजात हृदय की समस्याओं वाले कई व्यक्तियों में बहुत ही कम या कोई लक्षण नहीं पाये जाते। लेकिन कुछ गंभीर मामलों में लक्षण दिखाई देते हैं, खासतौर पर नवजात शिशुओं में यह प्रत्यक्ष होते हैं। इन लक्षणों में सामान्यतः तेजी से सांस लेना, त्वचा, होंठ और उंगलियों के नाखूनों में नीलापन, थकान और खून का संचार कम होना शामिल हैं। दिल के दौरे के लक्षणों में व्यायाम के साथ थकान शामिल है। सांस रोकने में तकलीफ, रक्त जमना और फेफड़ों में द्रव जमा होना तथा पैरों, टखनों और टांगो में द्रव जमा होना। जब तक बच्चा गर्भाशय में रहता है या जन्म के तुरंत बाद तक गंभीर हृदय की खराबी के लक्षण साधारणतः पहचान में आ जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह तब तक पहचान में नहीं आते जब तक कि बच्चा बड़ा नहीं हो जाता। ह्रदय रोगों के कुछ खास लक्षण अचानक सीने में दर्द दिल का दौरा पड़ने का संकेत हो सकता है, लेकिन अन्य चेतावनी के संकेत भी काफी मामलों में प्रत्यक्ष होते हैं। आपको एक या फिर दोनो हाथों, कमर, गर्दन, जबड़े या फिर पेट में दर्द और बेचैनी महसूस हो सकती है। आपको सांस की तकलीफ, ठंडा पसीना आना, मतली या चक्कर जैसे लक्षण हो सकते हैं। आपको व्यायाम या अन्य शारीरिक श्रम के दौरान सीने में दर्द हो सकता है जिसे एनजाइना कहते हैं। जो कि जीर्ण कोरोनरी धमनी की बीमारी (सी ए डी) के आम लक्षण हैं। लगातार सांस टूटने की अत्यधिक तीव्र तकलीफ दिल के दौरे की चेतावनी है। लेकिन हो सकता है यह अन्य हृदय की समस्याओं का संकेत हों। ह्रदय रोगों के कुछ अन्य लक्षण सीने में दर्द (एनजाइना) सांस की तकलीफ दर्द, सुन्नता, कमजोरी या पैर या हाथों का ठंडा पडना आदि। इसे भी पढ़ें: सोते वक्त करें ये 2 काम, कभी नहीं पड़ेंगे बीमार असामान्य दिल की धड़कन की वजह से दिल की बीमारी के लक्षण ह्रदय की तेज धड़कन धीमी गति से दिल का धड़कन सीने में दर्द सांस की तकलीफ चक्कर आना बेहोशी का अनुभव होना इसे भी पढ़ें: हार्ट अटैक से दूर रखती हैं आपकी ये 7 अच्‍छी आदतें ह्रदय के संक्रमण की वजह से हृदय रोग लक्षण बुखार सांस की तकलीफ कमजोरी या थकान आपके पैरों के या पेट में सूजन आपके दिल की धडकन की ताल में परिवर्तन लगातार या सूखी खांसी त्वचा पर चकत्ते इसे भी पढ़ें: ब्‍लड प्रेशर कम होना सेप्टिक शॉक के हैं संकेत, ऐसे करें बचाव यह ह्रदय रोगों के कुछ संभावित लक्षण हैं लेकिन किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पूर्व एक बार डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Heart Health In Hindi दिल को रखना है लंबे समय तक स्वस्थ, तो याद रखिये ये 7 बातें Aug 09, 2018 QUICK BITES: नियमित व्‍यायाम और स्‍वस्‍थ खान-पान के जरिये ही दिल को स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है।ऐसे आहार का सेवन कीजिए जिसमें मोनोसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड फैट हो।ब्लड प्रेशर दिल की परेशानियों की बड़ी वजह है। दिल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। आजकल अस्वस्थ खान-पान की वजह से बहुत सारे लोगों को कम उम्र में ही दिल की बीमारियां हो रही हैं। दिल की बीमारियां इसलिए गंभीर मानी जाती हैं कि इनमें रोगी को अक्सर संभलने और रोग के निदान का समय नहीं मिलता है। इन बीमारियों में हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, हार्ट ब्लॉक आदि प्रमुख हैं। दिल की ज्यादातर बीमारियों से बचा जा सकता है अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें। आइये जानते हैं कि किन बातों को अपनाकर आप अपने दिल को रख सकते हैं लंबे समय तक स्वस्थ। जीवनशैली बदलें नियमित व्‍यायाम और स्‍वस्‍थ खान-पान के जरिये ही दिल को स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है। ऐसे आहार का सेवन कीजिए जिसमें मोनोसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड फैट हो, यह शरीर एलडीएल यानी बुरे कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा को कम कर दिल को स्‍वस्‍थ रखता है। खानपान के अलावा नियमित रूप से व्‍यायाम दिल को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करता है। अधिक फास्टफूड, तेल-मसाले और तले-भुने खानों को खाने से बचें। इसे भी पढ़ें:- सर्दियों में दिल को दुरूस्‍त रखेंगी डॉक्‍टर की ये 5 सलाह तनाव से बचें आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण हर इंसान परेशान नजर आता है। दफ्तर हो या परिवार, इंसान किसी न किसी वजह से तनाव में घिरा रहता है। लेकिन, तनाव आपके हृदय के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं। इसलिए तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें। तनाव से हमारा ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है और ब्लड प्रेशर से हमारा दिल इसलिए दिल के रोगों से अगर दूर रहना है तो तनाव को छोड़ना होगा। ब्लड प्रेशर पर रखें नजर ब्लड प्रेशर दिल की परेशानियों की बड़ी वजह है। अगर आपके शरीर में खून अच्छी तरह सभी अंगों में प्रवाहित हो रहा है तो ज्यादातर रोगों की संभावना कम हो जाती है। अपने ब्लड प्रेशर को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें। ब्लड प्रेशर विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लॉकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा। इसको कम करने के लिए खाने में नमक का कम इस्तेमाल करें और जरुरत पड़े तो हल्की दवाएं लेकर भी ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। इसे भी पढ़ें:- ब्‍लड प्रेशर बढ़ने का संकेत है ये 7 लक्षण, कभी ना करें अनदेखा वजन पर कंट्रोल रखें वजन बढ़ने से दिल की बीमारियों के साथ-साथ अन्य कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है इसलिए अगर आपको स्वस्थ रहना है तो अपना वजन हमेशा कंट्रोल में रखें। आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल के परहेज और निम्न रेशे वाले अनाजों तथा सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं। फाइबरयुक्त आहार का सेवन करें स्वस्थ हृदय के लिए फाइबरयुक्त और रेशेदार भोजन का सेवन करें। भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स को भी रोज के आहार में शामिल कीजिए। ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे आपकी पाचन क्षमता भी अच्छी बनी रहती है। ब्लड शुगर को न बढ़ने दें डायबिटीज यानि ब्लड में शुगर की मात्रा भी दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह है। अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो शुगर को नियंत्रण में रखें। आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए डायबिटीज को खतरनाक न बनने दें। अगर जरूरत परे तो हल्की दवाओं का सेवन करना चाहिए। व्यायाम भी है जरूरी हृदय रोगों का खतरा कम करने के लिए ज़रूरी है उच्च रक्तचाप, उच्च कॅालेस्ट्राल के स्तर को कम करना, जिससे गंभीर रोगों की संभावना भी कम की जा सके। स्वस्थ हृदय के लिए व्यायाम बेहद बहुत ही आवश्यक है। प्रतिदिन थोड़ी देर टहलकर भी आप अपने वजन को नियंत्रित रख हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं। इसलिए जिम जायें, जागिंग करें और जितना हो सके चलने का प्रयास करें। ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Healthy Heart In Hindi जानिये कितना होना चाहिए आपका कोलेस्ट्रॉल और कब शुरू होती है इससे परेशानी Aug 09, 2018 QUICK BITES: रक्त में एलडीएल औसतन 70 प्रतिशत होता है।गुड कोलेस्ट्रॉल कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक को रोकता है।20 साल की उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल का स्‍तर बढ़ना शुरू हो जाता है। आजकल की अनियमित जीवनशैली और अस्वस्थ खानपान के कारण दिल की बीमारियों की संभावना बहुत ज्यादा हो गई है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ जाना है। शरीर अच्छी तरह काम करे इसके लिए शरीर में एक निश्चित कोलेस्ट्रॉल लेवल होना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने से शरीर में कई तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं जैसे आर्टरी ब्लॉकेज, स्टोक्स, हार्ट अटैक और दिल की अन्य बीमारियां। दरअसल कोलेस्ट्रॉल वैक्स या मोम जैसा एक ऐसा पदार्थ है जो लिवर बनाता है। ये हमारे शरीर में कोशिकाओं और हार्मोन्स के निर्माण के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा ये बाइल जूस बनाने में भी मदद करता है। आइये आपको बताते हैं कोलेस्ट्रॉल के बारे में और ये भी कि कितना कोलेस्ट्रॉल होना आपके शरीर के लिए फायदेमंद है। कोलेस्ट्रॉल एलडीएल (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल के दो प्रकार होते हैं। एलडीएल को बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता हैं। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को लिवर से कोशिकाओं में ले जाता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो जाए तो यह कोशिकाओं में हानिकारक रूप से इकट्ठा हो जाता है और धमनियों को संकरा बना देता है। इसके कारण ब्लड का सर्कुलेशन धीरे हो जाता है या रुक जाता है जिससे शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। रक्त में एलडीएल औसतन 70 प्रतिशत होता है। जोकि कोरोनरी हार्ट डिसीजेज और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण बनता है। एचडीएल को अच्छा (गुड) कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। गुड कोलेस्ट्रॉल कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक को रोकता है। एचडीएल, कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से वापस लिवर में ले जाता है। लिवर में जाकर यह या तो टूट जाता है या फिर व्यर्थ पदार्थों के साथ शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है। इसे भी पढ़ें:- हार्ट अटैक से दूर रखती हैं आपकी ये 7 अच्‍छी आदतें कब बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल 20 साल की उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल का स्‍तर बढ़ना शुरू हो जाता है। यह स्तर 60 से 65 वर्ष की उम्र तक महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से बढ़ता है। मासिक धर्म शुरू होने से पहले महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रहता है। मासिक धर्म के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का लेवल अधिक रहता है। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना अनुवांशिक भी हो सकता है। देखा गया है कि अगर किसी परिवार के लोगों में अधिक कोलेस्ट्रॉल की शिकायत होती है तो अगली पीढ़ी में भी इसका लेवल बढ़ा हुआ मिलता है। सामान्य परिस्थितियों में लिवर कोलेस्ट्रॉल के निर्माण और इसके इस्तेमाल के बीच संतुलन बनाए रखता है, लेकिन कभी-कभी यह संतुलन बिगड़ भी जाता है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी डिजीज, लीवर डिजीज और हाइपर थाइरॉयडिज्म से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है। महिलाओं में कोलेस्‍ट्रॉल का कम होना प्रीमैच्‍योर बेबी के जन्‍म का कारण बनता है। इसे भी पढ़ें:- कहीं आपका दिल बीमार तो नहीं, यह रहे लक्षण वयस्कों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच में होता है। 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च श्रेणी में रखा जाता है और ऐसा होने पर धमनियों से जुड़ी बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से अधिक कोलेस्ट्रॉल बहुत उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर कहा जाता है। इसका उच्च स्तर हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका को कई गुना बढ़ा देता है। कोलेस्ट्रॉल बैक्टीरिया द्वारा पैदा किए गए विषैले पदार्थों को सोखने के लिए स्पंज की तरह काम करता है। साथ ही यह मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए भी बेहद जरूरी होता है। जो लोग अल्जाइमर्स से पीड़ित होते हैं, उनके दिमाग में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक पाई जाती है। ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Healthy Heart in hindi Copyright © 2018 MMI ONLINE LTD

Helth

अगर आप भी लगाती हैं कॉन्टेक्ट लेंस, तो आई मेकअप में ध्यान रखें ये 5 बातें Sep 12,2018 कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों की आंखें ज्यादा संवेदनशील होती हैं। आपको मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ध्यान से करना चाहिए। आप पाउडर के बजाय क्रीम शैडोज का इस्तेमाल करें। अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करती हैं, तो आंखों के मेकअप के समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। खूबसूरत आंखें आपकी पूरी पर्सनैलिटी की खूबसूरती बढ़ाती हैं। कई बार आंखों के मेकअप में की गई गलती के कारण आपको आंखों के इंफेक्शन और कई परेशानियों का खतरा रहता है। इसलिए कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाली लड़कियों को आंखों का मेकअप करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सफाई का रखें ध्यान कॉन्टैक्ट लेंस लगाते समय हाथों को अच्छी तरह साफ करके साफ कपड़े या तौलिए से पोछ लें। इसे छूते समय आपके हाथ साफ और सूखे होने चाहिए। इसके बाद आंखों पर लेंस लगाने से पहले लेंस को सल्यूशन से जरूर साफ कर लें। इसी तरह लेंस का निकालने के बाद भी उसे अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही डिब्बें में रखें। इससे आप आंखों में होने वाले संक्रमण से बच सकते हैं। इसे भी पढ़ें:- छोटी आंखें भी दिखेंगी खूबसूरत और बड़ी, आजमाएं ये 5 मेकअप ट्रिक्स सही मेकअप प्रोडक्ट का इस्तेमाल बाजार में बिकने वाले ज्यादातर मेकअप प्रोडक्ट्स सामान्य आंखों के लिए बनाए जाते हैं। अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस लगाती हैं, तो आपकी आंखें ज्यादा संवेदनशील होती हैं। इसलिए आपको अपनी आंखों के लिए मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ध्यान से करना चाहिए। आपके लिए हाइपोएलर्जेनिक मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बेहतर रहता है क्योंकि इन प्रोडक्ट्स से एलर्जी का खतरा कम रहता है। लेंस लगाने के बाद करें मेकअप आंखों का मेकअप करने से पहले आप अपने कॉन्टैक्ट लेंस को सावधानी और सफाई के साथ लगा लें। इसके बाद प्राइमर लगाएं क्योंकि इससे शैडोज और लाइनर ठीक रहते हैं। ध्यान दें कि आप पाउडर के बजाय क्रीम शैडोज का इस्तेमाल करें, ताकि ये आपकी आंखों में न जाएं। यह भी ध्यान दें कि क्रीम शैडोज आंखों में ज्यादा जलन पैदा करते हैं इसलिए सावधानी से इसे लगाएं और बेहतर होगा कि वाटर बेस्ड क्रीम शैडोज चुनें। आईलाइनर कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों को जेल या क्रीम लाइनर्स के बजाय पेंसिल लाइनर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि इसके लिए लेड वाली पेंसिल का इस्तेमाल न करें क्योंकि लेड के कण आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इसे भी पढ़ें:- सिर्फ इन 5 ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट से पाएं पार्लर से भी अच्‍छा लुक मस्कारा फाइबर मस्कारा या लैश एक्सटेंडिंग मस्कारा के प्रयोग से बचें। इसके अलावा कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों को वाटर प्रूफ मस्कारा लगाने से भी बचना चाहिए। आइलैश डाई का इस्तेमाल करते समय भी सावधानी बरतें क्योंकि ये आंखों के इंफेक्शन और कई दूसरी परेशानियों का कारण बन सकता है। बरतें सावधानी अगर किसी भी मेकअप प्रोडक्ट से आपकी आंखों में जलन या परेशानी होती है, तो तुरंत आंखों को पानी से धोएं और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। आजकल मार्केट में ऐसे प्रोडक्ट आ गए हैं, जो कॉन्टैक्ट लेंस लगाने वालों के लिए स्पेशली बनाए जाते हैं। इसलिए ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आपके लिए बेहतर होगा। ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप Read More Articles On Beauty In Hindi Latest News ट्रेंडी दिखना है तो अपनाएं आयुष्मान खुराना का ये सीक्रेट, सिंपल कपड़ों में भी दिखेंगे स्टाइलिश सिर्फ इन 5 ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट से पाएं पार्लर से भी अच्‍छा लुक छोटी आंखें भी दिखेंगी खूबसूरत और बड़ी, आजमाएं ये 5 मेकअप ट्रिक्स रूखी त्वचा और झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए ट्राई करें ये 3 हाइड्रेटिंग फेस मास्क चमकदार और खूबसूरत नाखून पाने हैं, तो घर पर ऐसे करें हॉट ऑयल मेनीक्योर