ज्यादा सोने से आपके मस्तिष्क यानी ब्रेन के काम करने के तरीके को नुकसान पहुंच सकता है। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि वैसे लोग जो कम सोते हैं या फिर वैसे लोग जो रात में 7-8 घंटे से ज्यादा की नींद लेते हैं, दोनों की ही समझने और जानने की क्षमता कम हो जाती है।
7-8 घंटे की नींद है पर्याप्त
कनाडा स्थित वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल जून में शुरू किए गए नींद संबंधी सबसे बड़े रिसर्च में दुनियाभर के 40 हजार लोग शामिल हुए थे। ऑनलाइन शुरू की गई इस वैज्ञानिक जांच में एक प्रश्नावली और ज्ञानात्मक प्रदर्शन (कॉग्नेटिव परफॉर्मेंस) वाली गतिविधियों की शृंखला शामिल की गई। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आपके मस्तिष्क को सही से काम करने के लिए 7-8 घंटे की नींद चाहिए और डॉक्टर भी इतनी ही नींद लेने की सलाह देते हैं।
ज्यादा सोने वाले हो जाएं सावधान! मस्तिष्क को
कम ही नहीं ज्यादा सोना भी है नुकसानदेह है।
ज्यादा सोने से आपके मस्तिष्क यानी ब्रेन के काम करने के तरीके को नुकसान पहुंच सकता है। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि वैसे लोग जो कम सोते हैं या फिर वैसे लोग जो रात में 7-8 घंटे से ज्यादा की नींद लेते हैं, दोनों की ही समझने और जानने की क्षमता कम हो जाती है।
7-8 घंटे की नींद है पर्याप्त
कनाडा स्थित वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल जून में शुरू किए गए नींद संबंधी सबसे बड़े रिसर्च में दुनियाभर के 40 हजार लोग शामिल हुए थे। ऑनलाइन शुरू की गई इस वैज्ञानिक जांच में एक प्रश्नावली और ज्ञानात्मक प्रदर्शन (कॉग्नेटिव परफॉर्मेंस) वाली गतिविधियों की शृंखला शामिल की गई। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आपके मस्तिष्क को सही से काम करने के लिए 7-8 घंटे की नींद चाहिए और डॉक्टर भी इतनी ही नींद लेने की सलाह देते हैं।
लोगों की नींद से जुड़ी आदतों की हुई जांच
यूनिवर्सिटी के एड्रियन ओवन ने कहा, 'हम वास्तव में दुनियाभर के लोगों की सोने की आदतों के बारे में जानना चाहते थे। निश्चित तौर पर लैब में छोटे पैमाने पर नींद पर रिसर्च हुई है, लेकिन हम यह जानना चाहते थे कि वास्तविक जगत में लोगों की नीद संबंधी आदतें कैसी हैं। लगभग आधे प्रतिभागियों ने हर रात 6.3 घंटे से कम नींद लेने की बात कही, जो स्टडी में जरूरी नींद की मात्रा से एक घंटे कम थी। इसमें एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि 4 घंटे या उससे कम नींद लेने वालों का परफॉर्मेंस ऐसा था, जैसे वह अपनी उम्र से 9 साल छोटे हों। हैरान करने वाली खोज यह थी कि नींद सभी वयस्कों को समान रूप से प्रभावित करती है।
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