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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

आयरन से भरपूर हैं ये 18 चीजें, खाने से दूर होगी हीमोग्लोबिन की कमी


navbharat-times फाइल फोटो विभिन्न तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में आयरन बेहद जरूरी है। हिमोग्लोबिन के कम होने से अनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है। शरीर में आयरन फोलिक ऐसिड और विटामिन बी की कमी से हमारा हीमग्लोबिन लेवल घटता है, जिसके चलते हमें थकान और कमजोरी महसूस होती है। इतना ही नहीं, हीमोग्लोबिन लेवल कम होने से हमारी किडनी में भी दिक्कत हो सकती है। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी चीजों के बारे में जिनमें आयरन भरपूर मात्रा में होता है और इनका सेवन करके आपका हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ेगा: 1. चुकंदर चुकंदर का सेवन करने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है। इसके साथ ही अगर आप चुकंदर की पत्तियों को खाएंगे तो ज्यादा आयरन मिलेगा। चुकंदर की तुलना में इसकी पत्तियों में तीन गुना अधिक आयरन होता है। 2. आंवला और जामुन बराबर मात्रा में आंवले और जामुन कर रस मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। 3. पिस्ता पिस्ते में 30 अलग-अलग तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं। इसमें आयरन की मात्रा भी भरपूर होती है। 4. नींबू नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इससे बॉडी में हीमोग्लोबिन बढ़ता है। 5. अनार अनार में मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन सी के अलावा आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है। एक गिलास गुनगुने दूध में दो चम्मच अनार पाउडर डालकर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ाया जा सकता है। 6. सेब सेब अनीमिया जैसी बीमारी में काफी लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है। 7. पालक हीमोग्लोपबिन की कमी होने पर पालक का सेवन करने से शरीर में इसकी कमी पूरी होती है। पालक में आयरन की मात्रा काफी अधिक होती है। 8. सूखी किशमिश ब्लड बनने के लिए जरूरी विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी को किशमिश पूरा करती है। आयरन से भरपूर सूखी काली किशमिश का सेवन करके आप अपना हीमोग्लोबिन बढ़ा सकते हैं। 9. अंजीर अंजीर में विटामिन ए, बी1, बी2, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैगनीज, सोडियम, पोटेशियम और क्लोरीन पाया जाता है। दो अंजीर रात को पानी में भिगोकर, सुबह उसका पानी पीने और अंजीर खाने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ाया जा सकता है। 10. पका अमरूद पका अमरूद खाने से बॉडी में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है। 11. केला शहद या आंवले के रस के साथ केले का सेवन करने से हीमोग्लोबिन लेवन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। 12. अंकुरित आहार सुबह उठकर अंकुरित अनाज जैसे मूंग, चना, मोठ और गेंहू इत्यादि में नींबू का रस मिलाकर खाने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। 13. बादाम 10 ग्राम ड्राई रोस्टेड बादाम में 0.5 मिलीग्राम आयरन होता है। इसके अलावा बादाम में कैल्शियम, मैग्नीशियम भी होता है और कैलरी मात्र 163 होती है। इसका सेवन करने से हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है। 14. काजू 10 ग्राम काजू में 0.3 मिलीग्राम आयरन होता है। इससे आपका हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। 15. अखरोट अखरोट में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड की मात्रा काफी अच्छी होती है। अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम फाइबर और विटामिन-बी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन करने से आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है। 16. तुलसी तुलसी की पत्तियों का नियमित सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है। 17. गुड़ और मूंगफली रोजाना गुड़ और मूंगफली के दाने मिलाकर सेवन करें। इसे चबा-चबा कर खाने से खून की कमी नहीं होगी और हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ेगा। 18. तिल तिल से हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। तिल खाने से अनीमिया की बीमारी ठीक होती है।

आयरन से भरपूर हैं ये 18 चीजें, खाने से दूर होगी हीमोग्लोबिन की कमी


navbharat-times फाइल फोटो विभिन्न तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में आयरन बेहद जरूरी है। हिमोग्लोबिन के कम होने से अनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है। शरीर में आयरन फोलिक ऐसिड और विटामिन बी की कमी से हमारा हीमग्लोबिन लेवल घटता है, जिसके चलते हमें थकान और कमजोरी महसूस होती है। इतना ही नहीं, हीमोग्लोबिन लेवल कम होने से हमारी किडनी में भी दिक्कत हो सकती है। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी चीजों के बारे में जिनमें आयरन भरपूर मात्रा में होता है और इनका सेवन करके आपका हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ेगा: 1. चुकंदर चुकंदर का सेवन करने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है। इसके साथ ही अगर आप चुकंदर की पत्तियों को खाएंगे तो ज्यादा आयरन मिलेगा। चुकंदर की तुलना में इसकी पत्तियों में तीन गुना अधिक आयरन होता है। 2. आंवला और जामुन बराबर मात्रा में आंवले और जामुन कर रस मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। 3. पिस्ता पिस्ते में 30 अलग-अलग तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं। इसमें आयरन की मात्रा भी भरपूर होती है। 4. नींबू नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इससे बॉडी में हीमोग्लोबिन बढ़ता है। 5. अनार अनार में मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन सी के अलावा आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है। एक गिलास गुनगुने दूध में दो चम्मच अनार पाउडर डालकर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ाया जा सकता है। 6. सेब सेब अनीमिया जैसी बीमारी में काफी लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है। 7. पालक हीमोग्लोपबिन की कमी होने पर पालक का सेवन करने से शरीर में इसकी कमी पूरी होती है। पालक में आयरन की मात्रा काफी अधिक होती है। 8. सूखी किशमिश ब्लड बनने के लिए जरूरी विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी को किशमिश पूरा करती है। आयरन से भरपूर सूखी काली किशमिश का सेवन करके आप अपना हीमोग्लोबिन बढ़ा सकते हैं। 9. अंजीर अंजीर में विटामिन ए, बी1, बी2, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैगनीज, सोडियम, पोटेशियम और क्लोरीन पाया जाता है। दो अंजीर रात को पानी में भिगोकर, सुबह उसका पानी पीने और अंजीर खाने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ाया जा सकता है। 10. पका अमरूद पका अमरूद खाने से बॉडी में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है। 11. केला शहद या आंवले के रस के साथ केले का सेवन करने से हीमोग्लोबिन लेवन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। 12. अंकुरित आहार सुबह उठकर अंकुरित अनाज जैसे मूंग, चना, मोठ और गेंहू इत्यादि में नींबू का रस मिलाकर खाने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। 13. बादाम 10 ग्राम ड्राई रोस्टेड बादाम में 0.5 मिलीग्राम आयरन होता है। इसके अलावा बादाम में कैल्शियम, मैग्नीशियम भी होता है और कैलरी मात्र 163 होती है। इसका सेवन करने से हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है। 14. काजू 10 ग्राम काजू में 0.3 मिलीग्राम आयरन होता है। इससे आपका हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। 15. अखरोट अखरोट में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड की मात्रा काफी अच्छी होती है। अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम फाइबर और विटामिन-बी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन करने से आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है। 16. तुलसी तुलसी की पत्तियों का नियमित सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है। 17. गुड़ और मूंगफली रोजाना गुड़ और मूंगफली के दाने मिलाकर सेवन करें। इसे चबा-चबा कर खाने से खून की कमी नहीं होगी और हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ेगा। 18. तिल तिल से हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है। तिल खाने से अनीमिया की बीमारी ठीक होती है।

ज्यादा सोने वाले हो जाएं सावधान! मस्तिष्क को खतरा


ज्यादा सोने से आपके मस्तिष्क यानी ब्रेन के काम करने के तरीके को नुकसान पहुंच सकता है। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि वैसे लोग जो कम सोते हैं या फिर वैसे लोग जो रात में 7-8 घंटे से ज्यादा की नींद लेते हैं, दोनों की ही समझने और जानने की क्षमता कम हो जाती है। 7-8 घंटे की नींद है पर्याप्त कनाडा स्थित वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल जून में शुरू किए गए नींद संबंधी सबसे बड़े रिसर्च में दुनियाभर के 40 हजार लोग शामिल हुए थे। ऑनलाइन शुरू की गई इस वैज्ञानिक जांच में एक प्रश्नावली और ज्ञानात्मक प्रदर्शन (कॉग्नेटिव परफॉर्मेंस) वाली गतिविधियों की शृंखला शामिल की गई। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आपके मस्तिष्क को सही से काम करने के लिए 7-8 घंटे की नींद चाहिए और डॉक्टर भी इतनी ही नींद लेने की सलाह देते हैं। ज्यादा सोने वाले हो जाएं सावधान! मस्तिष्क को कम ही नहीं ज्यादा सोना भी है नुकसानदेह है। ज्यादा सोने से आपके मस्तिष्क यानी ब्रेन के काम करने के तरीके को नुकसान पहुंच सकता है। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि वैसे लोग जो कम सोते हैं या फिर वैसे लोग जो रात में 7-8 घंटे से ज्यादा की नींद लेते हैं, दोनों की ही समझने और जानने की क्षमता कम हो जाती है। 7-8 घंटे की नींद है पर्याप्त कनाडा स्थित वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल जून में शुरू किए गए नींद संबंधी सबसे बड़े रिसर्च में दुनियाभर के 40 हजार लोग शामिल हुए थे। ऑनलाइन शुरू की गई इस वैज्ञानिक जांच में एक प्रश्नावली और ज्ञानात्मक प्रदर्शन (कॉग्नेटिव परफॉर्मेंस) वाली गतिविधियों की शृंखला शामिल की गई। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आपके मस्तिष्क को सही से काम करने के लिए 7-8 घंटे की नींद चाहिए और डॉक्टर भी इतनी ही नींद लेने की सलाह देते हैं। लोगों की नींद से जुड़ी आदतों की हुई जांच यूनिवर्सिटी के एड्रियन ओवन ने कहा, 'हम वास्तव में दुनियाभर के लोगों की सोने की आदतों के बारे में जानना चाहते थे। निश्चित तौर पर लैब में छोटे पैमाने पर नींद पर रिसर्च हुई है, लेकिन हम यह जानना चाहते थे कि वास्तविक जगत में लोगों की नीद संबंधी आदतें कैसी हैं। लगभग आधे प्रतिभागियों ने हर रात 6.3 घंटे से कम नींद लेने की बात कही, जो स्टडी में जरूरी नींद की मात्रा से एक घंटे कम थी। इसमें एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि 4 घंटे या उससे कम नींद लेने वालों का परफॉर्मेंस ऐसा था, जैसे वह अपनी उम्र से 9 साल छोटे हों। हैरान करने वाली खोज यह थी कि नींद सभी वयस्कों को समान रूप से प्रभावित करती है।

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

हीमोग्लोबिन क्या है, शरीर में कितना लोहा होना चाहिए ?


शरीर में लोहे की कमी होना सेहत के लिए हानिकारक होता है, लेकिन लोहे की अधिकता भी उतनी ही नुकसानदेह होती है। मतलब लोहा शरीर के लिए आवश्यक तो है, लेकिन संतुलित मात्रा में। एक स्वस्थ शरीर में लोहे की मात्रा 20 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए, इससे अधिक होने पर शरीर में हीमोक्रोमेटिक रोग के लक्षण पनपने लगते हैं। लोहे का मुख्य कार्य खून के प्रमुख घटक, लाल रक्त कणों का निर्माण करना करना है। इतना ही नहीं, हीमोग्लोबिन के निर्माण का कार्य भी लोहा करता है, जो शरीर के अंग-प्रत्यंगों को सुडौल बनाकर, शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। हीमोग्लोबिन क्या है - हड्डियों के अंदरूनी भाग में पाया जाने वाला गूदा या अस्थिमज्जा, रक्त कणों की जननी है। यानी अस्थिमज्जा में ही हर तरह के रक्त कण बनते हैं, जिनमें लाल रक्त कणों की भरमार होती है। एक क्यूबिक मिलीलीटर रक्त में लगभग 50 लाख लाल रक्त कण होते हैं। एक बूंद खून को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर रक्त के लाल कण गोल-गोल तश्तरियों की तरह नजर आते हैं, जो किनारे पर मोटे और बीच में पतले दिखते हैं। न लाल रक्त कणों के अंदर हीमोग्लोबिन भरा होता है। लाल रक्त कणों की प्रत्येक तश्तरी के अंदर 30-35 प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन का होता है। अस्थिमज्जा में ही विटामिन बी-6 यानी पाइरिडॉक्सिन की उपस्थिति में लोहा, ग्लाइलिन नामक एमिनो एसिड से संयोग कर 'हीम' नामक यौगिक बनाता है, जो ग्लोबिन नामक प्रोटीन से मिलकर हीमोग्लोबिन बनता है। इससे स्पष्ट है कि हीमोग्लोबिन, रक्त का मुख्य प्रोटीन तत्व है। हीमोग्लोबिन की समुचित मात्रा पुरुष व महिला में क्रमशः 15 ग्राम और 13.6 ग्राम प्रति एक सौ ग्राम मिलीलीटर रक्त में होती है।

6 लक्षण दिखें, तो आने वाला है हार्ट अटैक


हार्ट अटैक कभी भी अचानक अाा सकता हैै, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं। अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं। अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके- 1 सीने में असहजता - यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है। सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है। खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना। इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें। थकान - बगैर किसी मेहनत या काम के थकान होना भी हार्ट अटैक की दस्तक हो सकती है। जब हृदय धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद या संकुचित हो जाती हैं, तब दिल को अधि‍क मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होने लगती है। ऐसी स्थि‍ति में कई बार रात में अच्छी खासी नींद लेने के बाद भी आप आलस और थकान का अनुभव करते हैं, और आपको दिन में भी नींद या आराम की जरुरत महसूस होती है। 3 सूजन - जब दिल को शरीर के सभी आंतरिक अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए अधि‍क मेहनत करनी पड़ती है, तो शि‍राएं फूल जाती हैं और उनमें सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है। इसका असर खास तौर से पैर के पंजे, टखने और अन्य हिस्से में सूजन के रूप में नजर आने लगता है। इसके कभी-कभी होंठों की सतह पर नीला होना भी इसमें शामिल है। 4 सर्दी का बना रहना - लंबे समय तक सर्दी या इससे संबंधि‍त लक्षणों का बना रहना भी दिल के दौरे की ओर इशारा करता है। जब दिल, शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तसंचार के लिए ज्यादा मेहनत करता है, तब रक्त के फेफड़ों में स्त्रावित होने की संभावना बढ़ जाती है। सर्दी में कफ के साथ सफेद या गुलाबी रंग का बलगम, फेफड़ों में स्त्रावित होने वाले रक्त के कारण हो सकता है। 5 चक्कर आना - जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, तो उसके द्वारा होने वाला रक्त का संचार भी सीमित हो जाता है। ऐसे में दिमाग तक आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे निरंतर चक्कर आना या सिर हल्का होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार एक गंभीर लक्षण है, जिस पर आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए। 6 इनके अलावा सांस लेने में अगर आपको किसी प्रकार का परिवर्तन या कमी का एहसास होता है, तो यह भी दिल के दौरे का लक्षण हो सकता है। जब दिल अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता तो फेफड़ों तक उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जितनी आवश्यकता होती है। इस वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है। अगर आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है, तो बगैर देर किए डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

स्वस्थ रहने की 10 अच्छी आदतें


* कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं। * घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें। * ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें। * बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं। * खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं। * खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो। * अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें। * मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें। * कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े। * 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।